माता चामुंडाकी कथा ऐवम परिचय
चामुंडा माता -दुर्गा का ही एक स्वरुप है। मार्कण्डेय पुराण और देवीमाहात्म्य में उनका उल्लेख है। उनकी कथा कुछ इस प्रकार है। जब माता दुर्गाका दो राक्षसों (चंड-मुंड) के साथ भयानक युद्ध चल रहा था, माता काली माता दुर्गा के कपाल से उत्पन हुई और दोनों असुरोंका वध कर दिया। इसी बात पर प्रसन होकर माता दुर्गाने काली माताको चामुंडा नाम दिया। हिन्दू धर्ममे देविया शक्तिका प्रतिक है। हर शक्ति के स्वरुप का एक महत्व है। माता चामुंडा, जिन्हे माता पारवतीका चरम स्वरुप भी माना जाता है, वो सप्तमात्रिरिका मेसे एक है। हिन्दुओं के शाक्त सम्प्रदाय में सप्तमात्रिरिका का उल्लेख महाशक्ति की सककारी सात देवियों के लिये हुआ है। ये देवियाँ ये हैं- ब्रह्माणी, वैष्णवी, माहेश्वरी, इन्द्राणी, कौमारी, वाराही और चामुण्डा। इन्हें 'मातृका' या 'मातर' भी कहते हैं। उनको चामुंडी, चामुंडेश्वरी और चर्चिका के नामो से भी जाना जाता है। माता चमुंडाका परिचय: वह प्रमुख योगिनियों में से एक हैं, जो चौंसठ या इक्यासी तांत्रिक देवी-देवताओं का एक समूह हैं,...